फेबियोला ओर्टिज़ द्वारा
माराकेच (आईडीएन) – माराकेच में आयोजित संयुक्त राज्य जलवायु परिवर्तन सम्मलेन में जलवायु परिवर्तन को ले कर किये जा रहे वैश्विक प्रयासों में महिलाओं और लड़कियों को शामिल करते हुए आगे की रह तय करना प्रतिनिधिमंडलों और गैर-राज्य संस्थाओं (नॉन-स्टेट एक्टर्स) के लिए एक विषम चुनौती थी।
इस सम्मलेन, जिसे औपचारिक रूप से दलों के बाइसवें सम्मेलन (COP22) के रूप में जाना जा रहा है, में एक दिन (14 नवम्बर) विशेष रूप से लैंगिक मुद्दों पर चर्चा के लिए रखा गया। यह चर्चा जलवायु परिवर्तन पर संयुक्त राज्य फ्रेमवर्क कन्वेंशन के अंतर्गत आयोज्य थी।
यूएनएफसीसीसी के कार्यकारी सचिव पैट्रिसिया एस्पीनोसा ने कहा, “अनेक अध्ययनों ने यह साबित हो गया है कि जलवायु परिवर्तन के मामले में महिलाएं सबसे कमज़ोर हैं और यही कारण है कि इस मुद्दे पर मज़बूत नेतृत्व की आवश्यकता है।”
महिला नेताओं की एसोसिएशन और सतत विकास (AFLED) की अध्यक्षा, मरियम डियालो-ड्रेम ने आईडीएन को बताया, “हमें महिलाओं की मांगों को प्राथमिकता देने और जलवायु परिवर्तन के लिए उचित प्रतिक्रिया देने की आवश्यकता है।” AFLED बमाको, माली में स्थित है और 15 से 35 वर्ष की उम्र की लड़कियों और युवा महिलाओं को सशक्त बनाने के लिए काम करता है।
डियालो-ड्रेम ने स्पष्ट किया कि जलवायु परिवर्तन शिक्षा से जुड़ा मुद्दा है इसलिए जलवायु अनुकूलन मुद्दे के समग्र समाधान के लिए महिलाओं को शिक्षित करने और लड़कियों को विद्यालय भेजने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा, “हम महिलाओं की नागरिकता को सशक्त बनाने और उन्हें निर्णय लेने की प्रक्रिया में शामिल करने के लिए कार्य कर रहे हैं, हम उन्हें माली में राजनीतिक परिदृश्य में हिस्सा लेने के लिए प्रोत्साहित करते हैं।”
उन्होंने कहा, साहेल क्षेत्र में महिलाएं पर परिवार की ज़िम्मेदारी है। अक्सर उन्हें पानी और भोजन लाने के लिए असुरक्षित सड़कों पर जाना पड़ता है। उन्हीं के शब्दों में, “साहेल क्षेत्र में संसाधनों की बहुत कमी है और अधिकांशतः पुरुष खेतों की ज़िम्मेदारी महिलाओं पर छोड़ देते हैं। अनुकूलन के लिए उनके स्वयं के पारंपरिक तरीके हैं, लेकिन यह पर्याप्त नहीं है, उन्हें सहायता की आवश्यकता है।”
माराकेच में होने वाली जलवायु वार्ता में लैंगिक मुद्दों के लिए अफ्रीकी क्षेत्र से वकालत करतीं डियालो-ड्रेम ने इस बात पर खेद व्यक्त किया कि वार्ता में इस मुद्दे पर समुचित ध्यान नहीं दिया गया।
उन्होंने बताया, “मुझे लगता है कि उन उच्च स्तरीय बैठकों में साहेल क्षेत्र से हम अफ्रीकी महिलाएं पिछड़ जाएंगी क्योंकि वहां पर हमारा प्रतिनिधित्व नहीं है। हम हमारे देशों में लैंगिक मुद्दे के समाधान के लिए सक्षम नहीं हैं, सरकारें हमारी समस्या को नहीं समझतीं, लैंगिक और मानव अधिकारों से संबंधित सभी विधान महज़ कागज़ों तक सीमित हैं, उन पर अमल नहीं हो रहा है। जब आप जलवायु न्याय के बारे में बात करते हैं तो यह केवल पश्चिम के लिए है, हमारे लिए नहीं।”
COP22 में पिछले दो हफ्तों (नवंबर 7-18, 2016) के दौरान देशों के प्रतिनिधिमंडलों ने वैश्विक जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिए 2015 में पेरिस में अपनाये गए नए वैश्विक समझौते के कार्यान्वयन पर बातचीत की। पेरिस समझौते में लैंगिक समानता की भाषा अपनायी गई और जलवायु परिवर्तन के माध्यम से दलों द्वारा मानवाधिकारों के महत्व को समझने और उनका सम्मान करने पर बल दिया गया तथा “लैंगिक अनुकूलता को अपनाने वाले उपायों और क्षमता-संवर्धन गतिविधियों की वकालत की”।
माराकेच में, दलों से अपेक्षा थी कि वे लैंगिक भेद पर लीमा कार्य योजना पर बल देंगे। यह 2014 में COP20 में शुरू किया गया दो वर्षीय कार्यक्रम है। नागरिक समाज समूहों ने UNFCCC के तहत लैंगिक भेद पर स्पष्ट कार्य योजना बनाने और लीमा कार्य योजना के अन्तर्गत वित्तीय सहायता प्रदान करने की वकालत की।
मध्य अमेरिकी देश में ग्वाटेमाला फाउंडेशन की समन्वयक मैते रोड्रिगुएज़ ब्लांडोन ने आईडीएन को बताया, “हम इस बात से शुरू करते हैं कि हम पीड़ित नहीं हैं, अब हम सशक्तिकरण के मार्ग पर बढ़ रहे हैं।”
“सकारत्मक जलवायु परिवर्तन तभी सार्थक होगा जब हम महिलाओं को उनके समुदायों में सशक्त बनाने के कामयाब होंगे। स्थानीय स्तर पर महिलाएं बहुत संगठित हैं और वे अपनी भूमिका को समझती हैं। हम इस दृष्टिकोण को बदलने पर ध्यान केंद्रित करते हैं कि महिलाएं पीड़ित हैं और यह नज़रिया पैदा करना चाहते हैं कि बदलाव में महिलाओं की भूमिका अहम है।” ब्लांडोन मध्य अमरेका में निकारागुआ, ग्वाटेमाला, अल सल्वाडोर, कोस्टा रिका और होंडुरास के ज़मीनी स्तर के महिला संगठनों के साथ मिल कर मध्य अमेरिका में महिलाएं और शांति नेटवर्क (Women एंड Peace Network) का नेतृत्व कर रही हैं। विगत एक दशक से उनका ध्यान ज़मीन से जुड़े महिलाओं के भूमि अधिकारों और महिलाओं के लिए सुरक्षित शहरों के लिए संघर्ष कर रहे संगठनों पर केंद्रित है।उन्होंने कहा कि COP22 में बातें ज़्यादा हुईं लेकिन पर्याप्त कार्य नहीं हुआ।
उन्होंने बल दिया, “हम महिलाओं के स्वदेशी दलों की बढ़ती हुई भागीदारी देख रहे हैं जो पूर्व में अकल्पनीय बात थी। लैंगिक भेद पर लीमा कार्य योजना बहुत ही छोटी थी और उसमें महिला सशक्तिकरण का उल्लेख नहीं था। इसमें कोई संदेह नहीं है कि समय के साथ विकसित हुआ है और हममें जागरूकता बढ़ी है, लेकिन हम हाशिये पर सीमित रहना नहीं चाहते। हम और अधिक ठोस कार्यवाही होते हुए देखना चाहते हैं।”
स्वदेशी लोगों के अधिकारों पर, संयुक्त राष्ट्र की विशेष दूत विक्टोरिया टॉली-कॉर्पज़ के अनुसार स्वदेशी महिलाओं की आवाज़ भी शामिल की जानी चाहिए। उन्होंने आईडीएन को बताया, “स्वदेशी महिलाओं की भूमिका बहुत अहम है क्योंकि वास्तव में वे कम कार्बन खाद्य उत्पादन की प्रक्रिया में शामिल हैं। वे अपने क्षेत्रों के भीतर पर्यावरण की देखभाल कर कर सकती हैं। वास्तव में उनकी भूमिका यह सुनिश्चित करना है कि जैव विविधता को बचाया जाए।”
टॉली-कॉर्पज़ का मानना है कि COP22 में लैंगिक समानता पर मज़बूती से ध्यान दिया गया। उन्होंने कहा, “यहाँ महिलाओं ने यह सुनिश्चित किया कि निर्णय लेने की प्रक्रिया में उनके हितों का भी ध्यान रखा जाए।स्वदेशी महिलाएं जलवायु परिवर्तन के समाधान के लिए मज़बूत सहयोगी हैं और उन्हें विचार विमर्श के मूल में होना चाहिए।”
सम्मलेन में सिविल सोसायटी टीम के मुखिया और मोरक्को की राष्ट्रीय मानवाधिकार परिषद के अध्यक्ष, ड्रिस एल यज़मी ने आईडीएन को बताया कि COP22 सम्मेलन में नागरिक समाज संगठनों और गैर राज्य संगठनों की महत्वपूर्ण भूमिका रही।
“कई देशों से महिलाओं के समूह यहां एकत्र हुए और जलवायु न्याय के लिए अफ़्रीकी महिलाओं के नेटवर्क की पहली नींव रखी गई। पेरिस समझौते पर पहुंचने में भी नागरिक समाज और गैर-राज्यीय संगठनों की भूमिका अहम थी। उन्होंने कहा, “पेरिस समझौते में गैर सरकारी संगठनों सहित विभिन्न अन्य संगठनों को शामिल करने को महत्व दिया गया।”
माराकेच में 114 देशों से 780 स्थानीय और क्षेत्रीय सरकारों का प्रतिनिधित्व करते हुए लगभग 1500 स्थानीय और क्षेत्रीय नेताओं ने 2017 में जलवायु के लिए स्थानीय स्तर पर वित्त व्यवस्था करने और 2020 तक इसके लिए ग्लोबल एक्शन फ्रेमवर्क तैयार करने के लिए रोडमैप लांच किया। [IDN-InDepthNews – 18 नवम्बर 2016]
फोटो क्रेडिट: फबिओला ओर्तिज़ | IDN-INPS