समाचार फ़ीचर नइमुल हक़ द्वारा
कॉक्स बाजार | बांग्लादेश (आईडीएन) – बांग्लादेश में कई युवा लड़कियां ग़रीबी या ग़रीबी से संबंधित समस्याओं के कारण विद्यालय छोड़ देती हैं। लेकिन शिक्षा जारी रखने के लिए मजबूत मंशा ने पिछले कुछ वर्षों में परिदृश्य बदल दिया है।
ग्रामीण क्षेत्रों में गरीब परिवारों में पितृसत्ता की प्रथाओं और लड़कियों की शिक्षा और रोज़गार के खिलाफ पारंपरिक मान्यताओं के बावजूद बांग्लादेश के कई क्षेत्रों में किशोरियों ने दिखा दिया है कि कैसे ऐसी परंपराओं को धता बता कर अपने जीवन को बेहतर बनाया जा सकता है।
शॉनग्लैप – या बातचीत जो क्षमता निर्माण या व्यावसायिक कौशल विकसित करने के लिए कहता है, समाज के हाशिए पर रहने वाले लोगों के लिए आजीविका के अवसर प्रदान करता है – ने ऐसे लोगों को सीखने के लिए प्रोत्साहित कर एक सकारात्मक प्रभाव डाला है।
उम्मे सलमा, जिसने अत्यधिक ग़रीबी के कारण 2011 में स्कूल छोड़ दिया था, तटीय कॉक्स बाजार जिले में दक्षिण डेलपरा के खुरुश्कुल में शॉनग्लैप में शामिल हो गई है। 29 किशोरियों के समूह में उम्मे, जिसने 2009 में अपने पिता को खो दिया था, लड़कियों के बीच प्रमुख भूमिका निभा रही है। यह समूह सप्ताह में छः दिन शॉनग्लैप सत्र में मिलता है जो डेलपारा उपनगर में एक किराए के फूस के घर में आयोजित होता है।
7 लड़कियों में सबसे छोटी उम्मे जो एक वकील बनना चाहती है ने आईडीएन को बताया, “मुझे विद्यालय छोड़ना पड़ा क्योंकि मेरी विधवा माँ चाहती थी कि घर चलाने के लिए मैं उनका सहयोग करूँ। इसलिए मैंने नवीं कक्षा में पढ़ाई छोड़ दी और घर के काम-काज में उनका हाथ बंटाने लगी।”
उम्मे की सहायता से उसकी माँ महीने में मात्र 31 अमेरिकी डॉलर कमा पाती है जिसमें आठ सदस्यीय परिवार का मुश्किल से गुज़ारा हो पाता है, – हालाँकि उम्मे का बड़ा भाई, जो गहरे समुद्र में मछली मछली पकड़ता है, भी घर ख़र्च में मदद करता है।
उम्मे ने आगे बताया: “फर्नीचर के कारखाने में लगभग एक वर्ष काम कर के मुझे एहसास हुआ कि यदि मैंने अपनी पढ़ाई पूरी की होती तो मैं अवश्य ही पूरे परिवार की कमाई से अधिक कमा पाती। उस बात को ध्यान में रख कर मैंने वापस विद्यालय जाने का निर्णय किया और साथ ही पढ़ाई जारी रखते हुए कमाने के लिए जीवन कौशल अर्जित किया।”
उम्मे कॉक्स बाज़ार में लगभग 3,000 किशोरियों में से एक है जो विद्यालय के बुनियादी सबक सीखने और जीवन कौशल जैसे सिलाई, इलेक्ट्रॉनिक सामान की मरम्मत, घरेलू पशु पालन, छोटी चाय की दुकान चलाना, मिट्टी के बर्तन बनाना, लकड़ी का काम और आय उत्पन्न करने वाली इस तरह की कई गतिविधियों को सीखने के बाद विद्यालय लौट आए।
जहांगीर आलम, जो COAST के शॉनग्लैप कार्यक्रम के कार्यक्रम प्रबंधक हैं जो कि कॉक्स बाजार में इस कार्यक्रम को कार्यान्वित करता है ने आईडीएन को बताया, “जो लोग स्नातक हैं उनको व्यापार शुरू करने के लिए ब्याज मुक्त ऋण दे कर मदद की जाती है – और अब तक 1500 से अधिक ऐसी लड़कियां अपने परिवार की नियमित कमाऊ सदस्य बन चुकी हैं।”
रुकसाना अख़्तर, जो डेलपारा में समूह प्रमुख हैं, का कहना है: “शॉनगैलप मूलतः कम अधिकार प्राप्त किशोरवय लड़कियों को जोड़ने और आम संवाद के माध्यम से सशक्त बनाने के लिए एक मंच है। इस माहौल में 12 महीने में उन्हें खोयी हुई नैतिक शक्ति पुनः प्राप्त करने में सहायता करते हैं, जो उन्हें लगता था कि वे फिर कभी प्राप्त नहीं कर पाएंगी।”
बारह वर्षीय रोज़ीना अख़्तर कभी स्कूल नहीं गई। वह शॉनग्लैप डेलपारा में लड़कियों के समूह से जुड़ी और पांच महीने समूह के साथ बिताने पर आश्वस्त हो गई कि शिक्षा और आय सृजन संबंधी प्रशिक्षण जीवन की ऊर्जा है।
अश्रुपूरित नेत्रों से एक अनाथ लड़की ने आईडीएन को बताया, “मैं अपने चाचा के कारण विद्यालय नहीं जा सकी। मैं उनके साथ रहती हूँ और वह इतने ग़रीब हैं कि उनके पास मेरे विद्यालय के गणवेश (यूनिफार्म) ख़रीदने और रजिस्ट्रेशन शुल्क (दाखिले के समय 12 डॉलर प्रति बच्चा) भरने के पैसे नहीं हैं। लेकिन शॉनग्लैप ने मेरा दाखिला सरकारी विद्यालय – शिखोन – में करवा दिया है जहाँ दाखिले के कोई पैसे नहीं लगते।”
कंसोर्टियम फॉर रिसर्च ऑन एजुकेशनल एक्सेस, ट्रांजीशन्स एंड इक्विटी (CREATE) द्वारा किये गए एक अध्ययन ‘बांग्लादेश में पढाई छोड़ने वाले: समूह विशेष पर लम्बे समय तक जुटाए गए साक्ष्य से नई अंतर्दृष्टि ‘ के अनुसार माध्यमिक विद्यालयों में लगभग 97 प्रतिशत नामांकन के बावजूद अनुमानतः 45 प्रतिशत बालिकाएं विद्यालय छोड़ देती हैं।
2007-2009 के दौरान CREATE के अध्ययन से पता चला है कि ख़राब स्वास्थ्य, स्वच्छता की कमी, शिक्षक अनुपस्थिति, उचित देखभाल की कमी, कक्षा में दोहराव और घर से विद्यालय की दूरी जैसे आम कारणों के अतिरिक्त ग़रीबी विद्यालय छोड़ने के प्रमुख कारणों में एक है।
कैंपेन फॉर पोपुलर एजुकेशन (CAMPE), जो बांग्लादेश में बच्चों की पढ़ाई की वकालत करने वाला अग्रणी विचार मंच है, के कार्यकारी अधिकारी राशेद के चौधरी ने आईडीएन को बताया: “लड़कियों के लिए शैक्षिक बहिष्कार एक बड़ी समस्या है, विशेष रूप से बांग्लादेश में सामाजिक-सांस्कृतिक संदर्भ में। दंडनीय कड़े कानूनों के बावजूद अभी भी लड़कियों का जल्दी विवाह करवा दिया जाता है। जवानी की दहलीज़ पर कदम रखने पर किशोरियों की ‘सुरक्षा’ सुनिश्चित करने के लिए उन्हें घर से बहार न निकलने के लिए प्रोत्साहित किया जाता है और इसका सबसे आम कारण है लड़कियों का परिवार की आय के पूरक के लिए कमाऊ सदस्यों के रूप में इस्तेमाल करना।”
राशेदा ने यह भी कहा, “मेरा विश्वास है कि उन ग़रीब लड़कियों, जो पढ़ाई जारी रखना चाहती हैं, के लिए जो पैसा कमाने के लिए युवा उद्यमिता के अवसर पैदा करने का यह दृष्टिकोण उनके जीवन में एक बड़ा बदलाव ला सकता है।”
रोज़ीना उन 1,16,000 से अधिक किशोरियों में से एक है 2006 के बाद से कई महीनों या कुछ मामलों में कई वर्षों विद्यालय से दूर रह कर वापस सफलतापूर्वक विद्यालय लौटी हैं। एक छोटी शर्मीली लड़की जिसने हाल ही में सिलाई का कोर्स किया है ने कहा, “शॉनग्लैप ने मुझे नया जीवन दिया है।”
शॉनग्लैप को इस प्रकार डिज़ाइन किया गया है कि इसे व्यक्तिगत प्रतिभागियों की जरूरतों के अनुकूलित किया जा सके। विद्यालय लौटने वाले 9 महीने का निर्धारित कौशल पाठ्यक्रम करते हैं और उसके बाद तीन महीने के लिए धन कमाने संबंधी गतिविधियाँ (आईजीआई) सीखते हैं, इसमें समूह के अग्रणी उनकी सहायता करते हैं। जीवन कौशल पर इस तरह के 2-घंटे के सत्र सप्ताह में छह दिन आयोजित किये जाते हैं।
COAST के कार्यकारी निदेशक रजौल करीम खान ने आईडीएन को बताया, “हमारी इस यात्रा की शुरुआत इतनी अच्छी नहीं थी क्योंकि कॉक्स बाज़ार एक बहुत धार्मिक समाज है जहाँ किशोरवय लड़कियों के बाहर निकलने पर पाबन्दी है। इसलिए विद्यालय छोड़ चुकी लड़कियों को इकठ्ठा करना आसान काम नहीं था।”
रजौल ने आगे कहा, “हमारी चुनौती थी माता-पिता और धार्मिक नेताओं को समझाना। इन्होंने शुरू में तो हमारी पहल का जबर्दस्त विरोध किया लेकिन बाद में महसूस किया कि किशोरवय लड़कियों को सशक्त बनाने के बहुत लाभ हैं।”
प्रत्येक शॉनग्लैप केंद्र पर शॉनग्लैप सपोर्ट टीम (एसएसटी) होती है जिसमें माता-पिता, स्थानीय नेता और स्थानीय सरकारी निकाय शामिल होते हैं।
समुदाय स्तर पर एसएसटी और किशोरवय लड़कियां सामाजिक कार्यों, जैसे बाल विवाह और दहेज प्रथा के विरोध में अग्रणी रह कर, महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं। समुदाय के लोगों की भागीदारी के कारण वे लाभार्थियों (लड़कियों) की क्षमता को समझ सकते हैं और रुढ़िवादी समाज में भी उनका समर्थन और सुरक्षा करने के लिए सक्रिय हो जाते हैं।
बांग्लादेश में स्ट्रोम फाउंडेशन के प्रोग्राम हेड, मिज़ानुर रहमान ने आईडीएन को बताया, “शॉनग्लैप लड़िकयों को ज्ञान और जानकारी दे कर जागृत करता है जिससे कि वे सामाजिक कुरीतियों विशेष कर लड़कियों के विरुद्ध हिंसा और महिलाओं के प्रति हर तरह के भेद-भाव को चुनौती दे सकें। ऐसे में यह आश्चर्य की बात नहीं है कि कई कठोर माता-पिता लड़कियों का विवाह जल्दी न करने और बच्चों को शोषण और हिंसा से बचाने के अभियान को अपना समर्थन दे रहे हैं।”
शॉनग्लैप जो 4,600 से अधिक समूहों के माध्यम से बांग्लादेश के 33 जिलों में फैला हुआ है, का उद्देश्य है अपेक्षित लड़कियों की आवाज़ बनना और उन्हें उनके जीवन के अधिकारों के लिए लड़ने के लिए सक्षम बनाना। इस कार्यक्रम को COAST और अन्य गैर सरकारी संगठनों द्वारा कार्यान्वित किया जा रहा है जब कि इसकी फंडिंग स्ट्रोम फाउंडेशन, नॉर्वे से हो रही है। [आईडीएन-InDepthNews – 29 अप्रैल 2016]
आईडीएन अंतर्राष्ट्रीय प्रेस सिंडीकेट का प्रमुख भाग है।