+किज़ितो मकोये द्वारा
दार एस सलाम (आईडीएन) – लैंगिक समानता को प्रोत्साहन देने के प्रयासों के बावजूद, तंज़ानिया में स्त्रियाँ और लड़कियाँ अब भी अधिकारहीन और मोटे तौर पर बेकार नागरिक हैं – जो एक पक्षपातपूर्ण पुरुष-प्रधान प्रणाली के कारण अक्सर पुरुष नागरिकों के भेदभाव और हिंसा का शिकार बनती हैं तथा उत्तरजीविता के कगार पर खड़ी हैं।
तथापि, संयुक्त राष्ट्र संघ के संधारणीय विकास लक्ष्यों (Sustainable Development Goals – SDGs) के अनुरूप स्त्रियों को सशक्त बनाने के लिए विभिन्न पहलें लागू की जा रही हैं, हालांकि उनको अब भी अपनी पूर्ण क्षमता तक पहुँचने से रोकने वाले अवरोधों का सामना करना पड़ रहा है।
अन्य चीजों में, SDG स्त्रियों के सशक्तिकरण, शिक्षा, स्वास्थ्य सेवा, उत्तम काम और राजनीतिक और आर्थिक निर्णय प्रक्रियाओं में उचित प्रतिनिधित्व का आह्वान करते हैं, तथा इस दिशा में इस पूर्व अफ्रीकी देश में फिलहाल जारी कुछ पहलें निम्नानुसार हैं।
रीता रॉबर्ट 16 वर्ष की थी जब उसके साथ बलात्कार किया गया, वह गर्भवती हो गई और तत्पश्चात स्कूल से निकाल दी गई, जिससे उसके वकील बनने के सपने चकनाचूर हो गए।
“मैं एक मेहनती छात्रा थी लेकिन मेरे सारे सपने टूट गए,” रीता ने कहा जो अब 19 वर्ष की है।
दक्षिण-पश्चिमी तंज़ानिया के काटावी प्रांत के इन्योगा सेकंडरी स्कूल की यह भूतपूर्व छात्रा ऐसी कई लड़कियों में से एक है जिन्हें गर्भवती हो जाने के बाद स्कूल से निकाल दिया जाता है।
जून 2017 में, राष्ट्रपति मैगाफुली की तब आलोचना की गई थी जब उन्होंने कहा था कि माँ बनने वाली लड़कियों को वापस स्कूल में भर्ती नहीं होने दिया जाएगा।
तंज़ानिया के राष्ट्रीय सांख्यिकी ब्यूरो के 2016 के आंकड़ों के अनुसार, काटावी प्रांत देश के सर्वोच्च किशोर गर्भावस्था दरों वाले प्रांतों में से एक है, जहाँ 15-19 वर्ष की 45 प्रतिशत लड़कियाँ गर्भवती हो जाती हैं।
तथापि, लैंगिक हिंसा से लड़ने के लिए अपने राष्ट्रव्यापी अभियान के तहत, तंज़ानियाई सरकार अब किशोर लड़कियों को गर्भावस्था से सुरक्षित करने के लिए पब्लिक स्कूलों में “प्रतिरक्षा और हिफ़ाजत” डेस्कों की स्थापना कर रही है।
सरकार ने कहा कि, यौन दुर्व्यवहार के मामलों से निपटने और संबंधित अधिकारियों को उनकी सूचना देने के लिए हर स्कूल में दो या अधिक शिक्षकों को चुना जा रहा है।
सामुदायिक विकास, लिंग और बच्चों के लिए मंत्री, उम्मी एमवालिमु के अनुसार, चुने गए शिक्षकों को विभिन्न यौन और प्रजनन स्वास्थ्य के मुद्दों पर सही और उपयोगी जानकारी का संचार करने और यौन दरिंदों से बचने में लड़कियों की मदद करने के लिए आवश्यक ज्ञान और कौशलों में प्रशिक्षित और सुसज्जित किया जाएगा।
“सभी स्कूलों में ये डेस्क होनी चाहिए जिन्हें लैंगिक हिंसा के मुद्दों से निपटने में समर्थ शिक्षकों से लैस किया जाएगा,” उन्होंने कहा।
अधिकारों के समर्थकों के अनुसार, चुप्पी की संस्कृति, पुरानी सांस्कृतिक प्रथाएं, प्रजनन स्वास्थ्य शिक्षा का अभाव और स्कूल से दूरी ऐसे कुछ कारक हैं जो तंज़ानिया में किशोर गर्भावस्थाओं को बढ़ावा दे रहे हैं।
छात्राओं को अक्सर व्यापक यौन उत्पीड़न का सामना करना पड़ता है या, कुछ स्कूलों में पुरुष शिक्षक उन्हें यौन संबंध बनाने को मजबूर करते हैं। 2016 की मानव अधिकार प्रेक्षण संबंधी एक रिपोर्ट ने दर्शाया है कि अधिकारी लैंगिक दुर्व्यवहार की सूचना पुलिस को कभी-कभार ही देते हैं, तथा कई स्कूलों में गोपनीय सूचना प्रक्रिया का अभाव है।
तथापि, सरकार को आशा है कि नई पहल गर्भवती होने और स्कूल से निकल जाने वाली लड़कियों की संख्या में कमी लाएगी। अधिकारी कहते हैं कि, इस योजना में परिपक्वता, लिंग अभिज्ञान, लैंगिक दुर्व्यवहार, गर्भावस्था और जोखिमपूर्ण यौन बर्ताव इत्यादि के बारे में व्यापक यौन और प्रजनन स्वास्थ्य शिक्षा प्रदान करना शामिल है।
जबकि तंज़ानिया में नाबालिग यौन-संबंधों को अपराध माना जाता है, गरीब माता-पिता अक्सर 1971 के विवाह कानून द्वारा प्रदत्त एक विशेष प्रावधान का उपयोग करके अपनी लड़कियों को ब्याह देते हैं, जो 15 वर्ष की उम्र की लड़की को भी माता-पिता या अदालत की सहमति से विवाह करने की अनुमति देता है।
सरकार की पहल पर बात करते हुए, इक्वालिटी नाऊ की अफ्रीका की निदेशक, फैज़ा जामा मोहम्मद ने कहा: “यह एक स्वागत योग्य कदम है … फिर भी, सरकार को ‘लड़कियों को लोभ से बचाने’ पर जोर देने की बजाय यौन दरिंदों को गिरफ्तार करने और उन्हें अपनी करतूत के लिए जिम्मेदार ठहराने पर ध्यान देने की जरूरत है।”
कॉर्पोरेट प्रबंधन में पुरुष प्रधानता को तोड़कर लिंगों के बीच अंतर को पाटने के एक प्रयास में, एसोसिएशन ऑफ तंज़ानिया एम्प्लॉयर्स (ATE) महिला अधिकारियों को वरिष्ठ नेतृत्व पदों पर आसीन करने के उद्देश्य से प्रशिक्षित कर रहा है।
एक हालिया MSCI वर्ल्ड इंडेक्स सर्वेक्षण के अनुसार, मजबूत महिला नेतृत्व वाली कंपनियाँ उन कंपनियों की तुलना में इक्विटी पर अधिक मुनाफ़ा देती हैं जिनमें सबसे वरिष्ठ स्तर पर महिलाएं नहीं हैं। तंज़ानिया में, केवल 35 प्रतिशत वरिष्ठ नेतृत्व पदों पर महिलाएं आसीन हैं।
Female Future नामक इस पहल के तहत, कॉर्पोरेट फर्मों में महिलाओं को ऐसे नेतृत्व कौशल हासिल करने के लिए प्रशिक्षित किया जा रहा है जो उन्हें महत्वपूर्ण निर्णायक पदों तक पहुँचने में मदद करेंगे और साथ ही नियत संगठनात्मक लक्ष्यों के लिए अधिक मेहनत करने और उन्हें पूरा करने के लिए प्रेरित करेंगे और चुनौती देंगे।
2015 में शुरू की गई और कॉन्फेडरेशन ऑफ नॉर्वेजियन एंटरप्राइज़ेज (NHO) के साथ संयुक्त रूप से कार्यान्वयित इस पहल के अंतर्गत, विभिन्न कॉर्पोरेट संगठनों की कई महिला नेताओं को व्यवसाय विकास प्रथाओं के बारे में शिक्षित किया जा रहा है और साथ ही, नेतृत्व और बोर्ड की कार्यनिर्वाह-क्षमता की अवधारणा से परिचित कराया जा रहा है।
दार एस सलाम के हलचल भरे एमचिकिचिनी बाज़ार में, महिला व्यापारियों ने हमेशा अपने लिंग के कारण अपने पुरुष प्रतिस्पर्धियों का दुर्व्यवहार और अपमान सहा है।
लेकिन जब से इक्वालिटी फॉर ग्रोथ (EfG) – तंज़ानिया में स्थित एक गैर-मुनाफ़ा संगठन – ने अनौपचारिक क्षेत्र में महिलाओं को सशक्त करके उनकी आय बढ़ाने और घरेलू गरीबी को कम करने में उन्हें सक्षम करने के लिए अपना जागरूकता अभियान आरंभ किया है, उनका आत्मविश्वास उल्लेखनीय रूप से बढ़ गया है।
तंज़ानिया के अनौपचारिक क्षेत्र में काम करने वाली महिलाओं को अक्सर अपने दैनिक कामकाज को संचालित करते समय हिंसा का सामना करना पड़ता है। उनके काम के वातावरण की अनौपचारिक और अनियंत्रित प्रकृति हिंसा की सूचना देने की प्रक्रिया के अभाव के कारण और भी दयनीय हो जाती है।
EfG द्वारा 2009 में किए गए एक सर्वेक्षण ने बाज़ार की महिला व्यापारियों के प्रति हिंसा के खौफनाक स्तर दर्शाए। सर्वेक्षण के अनुसार, दार एस सलाम के बाज़ारों में 40 प्रतिशत महिला व्यापारियों का यौन उत्पीड़न हुआ था, 32 प्रतिशत के साथ दुर्व्यवहार किया गया था और 24 प्रतिशत को पुरुष व्यापारियों और ग्राहकों द्वारा अन्य प्रकार की हिंसा का सामना करना पड़ा था।
ऐसी परिस्थिति को नियंत्रित करने के लिए, EfG यह समझने के लिए बाज़ार की महिला व्यापारियों को प्रशिक्षित कर रहा है कि अपने अधिकारों के लिए कैसे लड़ा जाता है और साथ ही ऐसी प्रक्रिया स्थापित कर रहा है जिससे बाज़ार में व्यापारी हिंसा के भय के बिना काम कर सकें और कानून द्वारा सुरक्षित हों।
अधिकारियों ने कहा कि, संयुक्त राष्ट्र संघ की महिला निधि द्वारा वित्तपोषित सारे दार एस सलाम के बाज़ारों में आरंभ की गई इस पहल, जिसका नाम है “Mpe riziki si matusi” – जिसका मतलब स्वाहिली में “उसका पोषण आमदनी से करें, दुर्व्यवहार से नहीं” है, ने लिंग पर आधारित हिंसा में कमी लाई है।
EfG प्रोग्राम अधिकारी शाबान रुलिमबिये को अनुसार, 2015 में शुरू किए गए इस कार्यक्रम ने तंज़ानिया के सबसे बड़े शहर में सैकड़ों महिला व्यापारियों के जीवन को बदल डाला है, जिससे बाज़ार अधिक सुरक्षित हो गया है और वे हिंसा से मुक्त सुरक्षित वातावरण में अपने आर्थिक अधिकारों का आनंद लेने में सक्षम हो गई हैं।
रुलिमबिये के अनुसार, EfG ने कई कानूनी समुदाय के समर्थकों को प्रशिक्षित किया है जो बाज़ारों में दुर्व्यवहार के मामलों की सूचना देने में महिलाओं की सहायता करते हैं। इस परियोजना ने ऐसे दिशानिर्देश भी बनाए हैं जो विभिन्न सामुदायिक हितधारकों – पुलिस, बाज़ार के अधिकारियों और विक्रेताओं – को सामान्य हित के मुद्दों पर चर्चा करने के लिए एक मंच पर लाते हैं।
महिलाओं के अधिकारों के समूहों का कहना है कि, जबकि तंज़ानिया ने प्राथमिक स्कूलों में भर्ती में कुल मिलाकर उल्लेखनीय प्रगति की है, कुछ ही लड़कियाँ, खास तौर पर ग्रामीण इलाकों में, अपनी माध्यमिक शिक्षा पूरी कर पाती हैं, जिसका कारण समयपूर्व विवाह, किशोरवय की गर्भावस्था और गरीबी है।
तंज़ानिया में, 76 प्रतिशत लड़कियाँ गर्भावस्था और समयपूर्व विवाह के कारण अक्सर माध्यमिक स्कूल छोड़ देती हैं। इस पहल के तहत, लड़कियों को जीवन कौशलों की शिक्षा, बाल अधिकारों, परामर्शक्रिया और लिंग अनुक्रिया से परिचित कराया जाता है।
‘रूम टू रीड’ कार्यक्रम स्थानीय सरकारों, स्कूलों, समुदायों और परिवारों के साथ सहयोग करके सुनिश्चित करता है कि वे साक्षरता के महत्व को और इस बात को समझें कि वे लड़कियों को अपनी पूरी क्षमता तक पहुँचने में सक्षम करने में कैसे भूमिका निभा सकते हैं।
‘रूम टू रीड’ कार्यक्रम के अंतर्गत, लड़कियाँ शिक्षकों या प्रशिक्षकों के साथ अंतर्क्रिया करती हैं जो विभिन्न जीवन कौशलों, परामर्शक्रिया और लिंग अनुक्रिया गतिविधियों को आयोजित करने के लिए सूत्रधार व्यक्तियों के रूप में काम करते हैं। [आईडीएन-InDepthNews – 16 जनवरी 2018]
फोटो: दार एस सलाम में एमचिकिचिनी बाज़ार में अपने ग्राहकों की प्रतीक्षा में अपने लकड़ी के स्टाल पर बैठी आयशा शाबान। वह उन महिलाओं में से एक है जिन्हें महिला सशक्तिकरण और लैंगिक हिंसा से बचने के तरीके में हाल ही में प्रशिक्षित किया गया है। सौजन्य: किज़ितो मकोये | आईडीएन-आईएनपीएस