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स्कूल खुलने को लेकर केन्या की पुमवानी झुगी-बस्तियों में मिश्रित प्रतिक्रियाएं

फ्रांसिस किन्युआ द्वारा*

नाइरोबी (IDN) – नौ महीने बंद रहने के बाद, एक नए सत्र की शुरुआत करने और COVID-19 की विश्वव्यापी महामारी के परिणामस्वरूप 2020 में बाधित हुए विद्यालय वर्ष को फिर से शुरू करने के लिए केन्या के स्कूल फिर से खुले। 4 जनवरी की सुबह, रास्तों पर उल्लसित बच्चों के झुंड रंगबिरंगी पोशाकें पहनकर अपने स्कूल जाते हुए देखे गए।

बच्चे फिर से स्कूल जाने को लेकर उत्साहित थे। न्यू पुमवानी प्राइमरी स्कूल में पढ़ने वाली, केट की 12 वर्ष की बेटी ने कहा कि, घर पर रहना थकाने वाला और उबाऊ अनुभव था। उसने कहा, “मैं फिर से पढ़ना चाहती थी, मुझे मेरे सहपाठियों व शिक्षकों की याद आती थी, और मैं फिर से स्कूल लौटकर खुश हूँ।”

कुछ स्कूलों का दौरा करने के बाद, युवाओं को जीवन की चुनौतियों का सामना करने के लिए सक्षम बनाने के लिए कामूकुंजी सबकाउंटी में काम करने वाला एक समुदाय-आधारित समूह, कामूकुंजी कम्युनिटी एमपॉवरमेंट इनिशिएटिव (KCEI),ने देखा कि स्कूल के प्राधिकारियों ने सैनिटाइज़िंग मशीनों को लगवा लिया था, वे स्वच्छ जल प्रदान कर रहे थे, और उन्होंने परिसर में प्रवेश करने के लिए चेहरे पर मास्क लगाना अनिवार्य कर दिया है।

स्कूल के अधिकारियों द्वारा तापमान जाँचे जाने और हथेलियों पर सैनिटाइज़र छिड़के जाने के लिए अपनी बारी की प्रतीक्षा करते हुए, अपने स्कूल के गेट के बाहर कतार लगाते हुए अधिकतर लड़कों व लड़कियों ने अपने मास्क पहन लिए, लेकिन असली खतरा स्कूल के भीतर प्रतीक्षा कर रहा था।

माता-पिता की चिंताएं

बच्चों के साथ आए माता-पिता खुश होने के साथ-साथ चिंतित भी थे क्योंकि वे उनकी सुरक्षा को लेकर चिंतित थे क्योंकि केन्या में COVID-19 के नए संक्रमणों का मिलना जारी है।

एक माँ, आइरिन ने कहा कि, “एक माँ के तौर पर में मैं बच्चों के स्कूल शुरू होने को लेकर खुश हूँ”। उन्होंने कहा कि, “लेकिन उसके साथ-साथ, हमें बहुत डर भी लग रहा है क्योंकि हमें वास्तव में नहीं पता है कि, क्या अन्य बच्चों में वायरस है या क्या शिक्षक में वायरस है, या क्या सहायक स्टाफ में वायरस है। इसलिए, हमें यह चिंता है, लेकिन हम वास्तव में आशा करते हैं कि हमारे बच्चे सुरक्षित होंगे”।

हर कक्षा में लगभग 70 विद्यार्थियों को बिठाकर सोशल डिस्टेंसिंग का पालन कैसे किया जाएगा, इस बारे में प्रश्न पूछते हुए 30 वर्षीय माँ सईदा ने कहा कि, “सरकार ने कहा है कि हमारे बच्चों को फिर से स्कूल जाना चाहिए, लेकिन जैसा कि मुझे दिख रहा है वे सुरक्षित नहीं हैं”। उन्होंने आगे कहा कि, किसी नई कक्षा का निर्माण नहीं किया गया है और यहाँ कोई डेस्क नहीं है। जब बच्चे कक्षा में बैठे, तो उनके कंधे आपस में मिल रहे थे, एक डेस्क पर तीन, जैसा कि वे विश्वव्यापी महामारी से पहले करते थे।

माँ ने कहा, “हमारे स्कूल में आवश्यकता से अधिक भीड़ है, बच्चों को स्कूल भेजने को लेकर यही मेरी चिंता का सबसे बड़ा कारण है”। उन्होंने कहा कि, “माता-पिता के रूप में हमें बहुत सी परेशानियों का सामान करना पड़ा है, हमारे पास किताबे खरीदने, बस का किराया देने, और मास्क व सैनिटाइज़र खरीदने लायक पैसा नहीं है। हम स्कूलों में अपने बच्चों की सुरक्षा के बारे में आश्वस्त नहीं हैं। मैं चिंतित हूँ लेकिन हमें सरकार के आदेशों का पालन करना होगा और मुझे अपने बच्चों को फिर से स्कूल ले जाना होगा”।

अनुपस्थिति की प्रवृत्ति

वर्ष 2020 में, विश्व स्वास्थ्य संगठन और UNICEF ने COVID-19 के कारण लंबे समय तक स्कूल बंद रहने के संबंध में चेतावनी जारी की थी, उन्होंने कहा था कि स्कूल बंद रहने के कारण गरीब देशों में किशोरावस्था में गर्भावस्था, निम्न पोषण और स्थाई रूप से स्कूल छोड़ने की समस्याओं में वृद्धि होगी।

हालांकि इस सप्ताह 1.5 करोड़ बच्चों के स्कूल लौटने की अपेक्षा थी, KCEI ने पाया कि पुमवाणी झुगी-बस्तियों के सैंकड़ों बच्चे फिर से स्कूल नहीं लौटे हैं, जिसमे इन आँकड़ों में सबसे बड़ा हिस्सा लड़कियों का था। हालांकि यह अभी तक निर्धारित नहीं किया जा सका है कि बच्चे फिर से स्कूल क्यों नहीं लौटे, इसका कारण लड़कियों का गर्भवती हो जाना या उनकी शादी हो जाना भी हो सकता है, और इसलिए वे स्कूल लौटने में अक्षम हैं। KCEI के सदस्य किन्युआ ने कहा कि, “स्कूल कन्या विद्यार्थियों के लिए वो सुरक्षित स्थान था जहाँ वे अपने अध्ययन पर ध्यान केन्द्रित कर सकती थीं और शादी से बच सकती थीं।“ “लेकिन Covid-19 के कारण, सुरक्षा जाल अलग हो गया, जिसके कारण उनका बाल-विवाह होने की संभावना बढ़ गई।

कम होती घरेलु आय, उबाऊपन और निष्क्रियता, के कारण अन्य शिक्षार्थी स्कूल बंद होने के दौरान घरेलु आय की पूर्ती करने के लिए बाल वैश्यावृत्ति, नशीली दवाओं/शराब, फेरी वाले काम, रद्दी धातुओं को बेचने और प्लास्टिक को एकत्रित करने, भीख माँगने की ओर लौटने लगे, और यह स्कूल खुलने पर अनुपस्थित रहने वालों की संख्या में वृद्धि का कारण हो सकता है। 

जहाँ कई लोग विश्वव्यापी महामारी और पाबंदियों के कारण नौकरी जाने और व्यवसाय बंद होने के बारे में शिकायत कर रहे हैं, वहीं कई माता-पिता ने KCEI को बताया कि वे अपने बच्चों को स्कूल भेजने के बारे में दुविधा में हैं क्योंकि आय की हानि होने के कारण अध्ययन शुल्क एवं अन्य शुल्कों का भुगतान करने, नई स्कूल यूनिफार्म, किताबें और चेहरे के मास्क खरीदने की उनकी क्षमता प्रभावित हुई है। कामूकुंजी सेकेंडरी स्कूल के एक माता-पिता ने कहा कि, “हमने एक वर्ष से काम नहीं किया है। हम हमारे घरों में बंद थे। हम अपने बच्चों को स्कूल भेजने के लिए आवश्यक व्यवस्था कैसे कर सकते हैं”।

पुमवानी प्राइमरी स्कूल के प्रधानाध्यापक ने कहा कि, “हैण्ड-वाशिंग पॉइंट्स के साथ-साथ, स्कूल में शिक्षकों एवं विद्यार्थियों के लिए जल, साबुन और हैण्ड सैनिटाइज़र की पर्याप्त मात्रा की आपूर्ति किए जाने की आवश्यकता है। हमारे यहाँ कक्षाओं एवं डेस्कों का भी अभाव है, जिसके कारण शिक्षार्थियों के बीच एक-मीटर की दूरी के नियम पर ठीक से नज़र रख पाना मुश्किल होता है”।

कुल मिलाकर, KCEI ने पाया कि इस सप्ताह औसतन 70 प्रतिशत बच्चे स्कूल लौटे। हालांकि संख्या बड़ी दिखती है, फिर भी शिक्षकों और स्कूल स्टाफ को इस बात का भय है कि पूरे वर्ष विभिन्न सामाजिक-आर्थिक कारणों से बच्चे स्कूल छोड़ना जारी रखेंगे।

संयुक्त राष्ट्र के सस्टेनेबल डिवेलपमेंट गोल्स (SDGs) के लक्ष्य (गोल) 4 को प्राप्त करने के लिए, सभी बच्चों की सामाजिक-आर्थिक स्थिति के बावजूद उन्हें समान रूप से शिक्षा प्राप्त होना ज़रूरी है, इसलिए इस लक्ष्य  को हासिल करने के लिए सभी हिस्सेदारों को मिलकर काम करना चाहिए। [IDN-InDepthNews – 27 जनवरी 2021]

* फ्रांसिस किन्युआ का संबंध कामूकुंजी कम्युनिटी एमपॉवरमेंट इनिशिएटिव से है।

फोटो: कामूकुंजी कम्युनिटी की सभा।